Evergreen Gulzar Shayari
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अकेले हम ही शामिल नहीं
इस जुर्म में,
नज़रे जब मिली तो मुस्कराए
तुम भी थे ! 🍁

होगी तुम्हारे पास ज़माने
भर की डिग्रीया,
छलकती आँखों को ना पढ़ पाए
तो अनपढ़ हो तुम ! 🍁
नफरत भी नहीं हैं 🌿गुस्सा हु ,
पर तेरी ज़िंदगी का अब हिस्सा भी नहीं हूँ ! 🍁
बड़े अजीब से हो गए हैं 🌿रिश्ते आज कल ,
सब फुर्सत में हैं 🌿लेकिन वक्त किसी के पास नहीं ! 🍁
खामोशिया बोल देती हैं 🌿
जिनकी बाटे नहीं होती ,
इश्क़ तो वो करते हैं 🌿
जिनकी मुलाकते नहीं होती ! 🍁
चलती हैं 🌿दिल के शहर में ,
यूँ हुकूमत उनकी,
बस जो भी उसने कह दिया,
दस्तूर हो गया
जरूरी नहीं हर रिश्ते को
मोहब्बत का नाम दिया जाये
कुछ रिश्तो के जज्बात
मोहब्बत से बढ़कर होते हैं 🌿!